27 रजब, शबे मेराज और उसकी बिदअतें


मेराज के दौरान आप ﷺ को अल्लाह तआला ने अपनी बहुत बड़ी बड़ी निशानियाँ दिखाई और 5 फ़र्ज़ नमाज़ों का तोहफा मिला जिसे अल्लाह ने नेकी के ऐतबार से 50 नमाज़ों के बराबर रखा है. आपको मेराज में ही जन्नत और जहन्नम भी दिखाया गया और आपने जन्नत के बागात और नहरें देखी, नहर-ए-क़ौसर को भी देखा जिसे अल्लाह ने आपको अता किया है, फिर आप जहन्नम के दरोगा मालिक को देखते हैं और जहन्नम में अज़ाब में मुब्तिला बहुत से इंसानों को देखते हैं जो अपनी ग़लतियों की सजा पा रह हैं.

तफ्सील के लिए देखें : शबे मेराज की हकीकत (इसरा और मेराज का बयान)

मेराज के इस वाक़ये को ले कर हमारे समाज में कुछ बिदअतें फैली हुई हैं और कुछ मुल्लाओं ने लोगों के दिलों में बहुत सी अफवाहें भी भर रखी हैं जिनका ज़िक्र यह किया जायेगा.

सबसे पहले हम इसकी तारिख पर ग़ौर करेंगे.


शबे मेराज की हकीकत (इसरा और मेराज का बयान)

मेराज का वाकिया इस्लामिक तारिख में एक अहम् तरीन वाकिया है जिसमे मुहम्मदुर रसूलल्लाह ﷺ को अल्लाह तआला ने अपनी बड़ी बड़ी निशानियों को दिखाया, उनसे अम्बिया की मुलाकात कराई, उन्हें आसमानो की सैर करवाई गयी, उन्हें जन्नत और दोज़ख को दिखाया गया और सबसे बड़ी बात के उन्हें अल्लाह की तरफ से एक अज़ीम तोहफा दिया गया जो के उनकी पूरी उम्मत के लिए था, और वो तोहफा था पांच नमाज़.
आइये मेराज के बारे में थोड़ी तफ्सील से जानें:

मेराज दरअसल एक सफर नहीं बल्कि दो सफर का पूरा वाकिया है जिसे अगर इसरा और मेराज का सफर कहें तो ज़्यादा बेहतर होगा, क्योंके एक सफर में आप ﷺ मस्जिद-हराम (खान-ए-काबा) से मस्जिदे अक़्सा (बैतूल मक़दिस) को गए और फिर दूसरा सफर आसमानों का किया जहाँ आप सातों आसमान पे गए और सिदरतुल मुंतहा पे भी आपको ले जाया गया और फिर आपको जन्नत और जहन्नुम की भी  सैर कराई गयी.

नबी और रसूल में फ़र्क़



नबी और रसूल में शरई ऐतबार से देखें तो ख़ासा फ़र्क़ है.
रसूल का मर्तबा नबी से बड़ा होता है. हर रसूल अव्वलन नबी होता है और फिर रसूल के मर्तबे को पाता है मगर हर नबी रसूल नहीं हो सकता. यही वजह है के दुनिया में एक लाख चौबीस हज़ार से भी ज़्यादा नबी आये मगर रसूल सिर्फ तीन सौ तेरह हुए.

क्या रसूलल्लाह ﷺ को इल्मे ग़ैब था?

क्या अल्लाह के रसूल ﷺ को इल्म ग़ैब यानी मुस्तक़बिल में होने वाले बातों का इल्म था?
आज हम इस मुद्दे पे रौशनी डालेंगे की क्या मुहम्मदुर रसूलल्लाह  ﷺ को इल्म ग़ैब था या नहीं.
बहुत से लोगों का ये कहना है के अल्लाह के रसूल को इल्मे ग़ैब था और वो आने वाले वक्त की बातें बता दिया करते थे और अल्लाह तआला ने उन्हें ये इल्म आता किया था के के वो ग़ैब की जानकारी भी दे सकें. क्या ये बात सही है?
सबसे पहले हम ये जान लें की ग़ैब क्या है और ग़ैब को जानने वाला कौन है और किसे हम आलिमुल ग़ैब कह सकते हैं.
ग़ैब से मुराद वो बात जो हमारी नज़र और जानकारी में नहीं है और जो हम पे ज़ाहिर नहीं है, छुपा हुआ है.