क्या अल्लाह के रसूल ﷺ को इल्म ग़ैब यानी मुस्तक़बिल में होने वाले बातों का इल्म था?
आज हम इस मुद्दे पे रौशनी डालेंगे की क्या मुहम्मदुर रसूलल्लाह ﷺ को इल्म ग़ैब था या नहीं.
बहुत से लोगों का ये कहना है के अल्लाह के रसूल को इल्मे ग़ैब था और वो आने वाले वक्त की बातें बता दिया करते थे और अल्लाह तआला ने उन्हें ये इल्म आता किया था के के वो ग़ैब की जानकारी भी दे सकें. क्या ये बात सही है?
सबसे पहले हम ये जान लें की ग़ैब क्या है और ग़ैब को जानने वाला कौन है और किसे हम आलिमुल ग़ैब कह सकते हैं.
ग़ैब से मुराद वो बात जो हमारी नज़र और जानकारी में नहीं है और जो हम पे ज़ाहिर नहीं है, छुपा हुआ है.
अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है :
"(अल्लाह ) ग़ैब की बात जानने वाला है और किसी पर अपने ग़ैब को ज़ाहिर नहीं करता."
(सूरह जिन्न, आयत 26)
इस आयत में साफ़ ज़ाहिर है के अल्लाह ग़ैब को जानने वाला है, मतलब अल्लाह को हर चीज़ का इल्म है. अब ज़रा इस बात पे ग़ौर करते हैं के ग़ैब जानने वालों में क्या खूबियां होती हैं, ताकि ये साफ़ हो जाये के नबीए क़रीम ﷺ को ग़ैब का इल्म था या नहीं.
हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि० ने बयान किया के रसूलल्लाह ﷺ फरमाते हैं के ग़ैब की पांच कुंजियाँ हैं जिन्हें अल्लाह के सिवा और कोई नहीं जानता:
1. माँ के पेट में क्या है
2. कल क्या होगा,
3. बारिश कब आएगी
4. किस जगह कोई मरेगा
5. क़यामत कब आएगी
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर ,1039, 4627, 7379, तिर्मिज़ी 3290)
इस हदीस में अल्लाह के रसूल ने वाज़ेह कर दिया है के ग़ैब का इल्म रखने वालों को किन-किन बातों की जानकारियां होती हैं या होनी चाहिए.
क्या अल्लाह के रसूल को इन बातों की जानकारियां थीं? जैसा के बहुत से उलेमा का दावा है के नबी को इल्मे ग़ैब था...तो फिर यक़ीनन इस हदीस की कसौटी पर उनकी बात खरी उतारनी चाहिए.
अल्लाह अपने रसूल ﷺ से फरमाता है:
"ये लोग आपसे क़यामत के बारे में पूछते हैं के इसके वाकेअ होने का वक्त कब है, कह दीजिये के इसका इल्म तो मेरे परवरदिगार ही को है....."
(सूरह अल-अराफ़, आयत नंबर 187)
इस आयत से साफ़ ज़ाहिर है के रसूलल्लाह को क़यामत का इल्म नहीं था और अल्लाह तआला उनसे ऐलान भी करा रहा है.
फिर एक हदीस है के
हज़रते अबु मूसा अशअरी रज़ि० से एक हदीस रिवायत है के एक दफा सूरज ग्रहण हुआ तो नबीए क़रीम ﷺ बहुत घबरा कर उठे इस डर से के कहीं क़यामत न क़ायम हो जाये..
(सही बुखारी, हदीस नंबर-1059)
यह भी ज़ाहिर है के रसूलल्लाह को क़यामत का इल्म नहीं था वरना तो उन्हें खौफ न होती क्योंके उन्हें क़यामत के सही वक्त का इल्म होता.
इन दोनों सुबूतों से साबित ये हुआ के नबीए क़रीम ﷺ को इल्मे ग़ैब नहीं था.
फिर इन्होंने बहुत सी ऐसी बातें कैसे बता दी जो आइंदा वक़्त की थी और गुज़स्ता दौर की भी??
एक हदीस है के
हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ि० से रिवायत है के अल्लाह के रसूल ﷺ ने एक दफा मिम्बर पे खड़े हो कर हमे इब्तिदाए ख़ल्क़ से ले कर जन्नती और जहन्नमी लोगों के आखरी पड़ाव तक की तफ्सील बता दी, जिसे याद रखना था याद रखा, और जिसे भूलना था भूल गया.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर-3192)
अक्सर कुछ मौलवी हज़रात इस हदीस का हवाला देते हुए ये साबित करने की कोशिश करते हैं के उन्हें माज़ी के साथ साथ मुस्तक़बिल का भी इल्म था और वो आलिमे ग़ैब थे.
बेशक ये हदीस सही है मगर इसका ये मफ़हूम बिलकुल भी नहीं के वो इल्मे ग़ैब को जानने वाले थे, बल्कि वो सिर्फ उन्ही बातों को बयान करते थे जो अल्लाह उन्हें बताता और अल्लाह उन्हें वही के ज़रिये बहुत सी बातें बता देता था.
अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है :
"ये ग़ैब की कुछ ख़बरें हैं जो हम तेरी तरफ वही कर रहे हैं , इस से पहले न तू ही इन्हें जानता था और न ही तेरी क़ौम.."
(सूरह हूद, 49)
"(ऐ पैग़म्बर) ये ग़ैब की ख़बरें हैं जो हम तुम्हारी तरफ भेजते हैं.."
(सूरह युसूफ, 102)
"ये ग़ैब की कुछ खबरें हैं जो (ऐ रसूल) हम तेरी तरफ वही कर रहे हैं..."
(सूरह आले इमरान , 44)
ऊपर के सभी आयतों से एक बात साफ़ ज़ाहिर है के अल्लाह के रसूल ﷺ को इल्मे ग़ैब नहीं था बल्कि उनको अल्लाह तआला वही (पैग़ाम) के ज़रिये बहुत सी पोशीदा बातें बता दिया करते थे और वही(पैग़ाम) के ज़रिये ही उन्हें कुछ बातों का इल्म होता जिन्हें अल्लाह बताना चाहते. यहाँ पे फिर से एक दफा दुहराना चाहता हूँ के कुछ बातों का इल्म, और वो भी जो अल्लाह ने वही के ज़रिये उन्हें बताया.
अल्लाह तआला बार बार अपने प्यारे महबूब ﷺ से ऐलान करवा रहा है के आप कह दें के आपको ग़ैब का कुछ इल्म नहीं है बस आप उतना ही जान पाते हैं जितना के अल्लाह आपको बताना चाहे....
पेश है क़ुरआन की कुछ आयतें :
"(ऐ नबी) कह दीजिये के मैं तुमसे ये नहीं कहता के मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं और न ये के मैं ग़ैब जानता हूँऔर न तुमसे ये कहता हूँ के मैं फरिश्ता हूँ. मैं तो सिर्फ उस हुक्म पे चलता हूँ जो अल्लाह की तरफ से आता है. कह दो के भला अँधा और आँख वाले बराबर होते हैं? तो फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते ?"
(सूरह अल-अनाम, आयत नंबर 50)
अल्लाह फरमाता है
"कह दीजिये के अल्लाह के सिवा आसमानों और ज़मीनों में कोई भी ग़ैब की बात नहीं जानता, और उन्हें ये भी नहीं पता के कब (दुबारा) उठाये जायेंगे."
(सूरह नमल, आयत 65)
अल्लाह अपने प्यारे नबी से फरमाता हैं :
"कह दीजिये के मैं कोई नया पैग़म्बर नहीं आया, और मैं नहीं जानता के मेरे साथ क्या सुलूक किया जायेगा और तुम्हारे साथ क्या (किया जायेगा), मैं तो उसी की पैरवी करता हूँ जो मुझ पर वही आती है, और मेरा काम तो ऐलानिया हिदायत करना है."
(सूरह अल-अहक़ाफ़, आयत 9)
अल्लाह तआला अपने प्यारे रसूल को मुखातिब करते हुए कहते हैं
"कह दीजिये के मैं अपने फायदे या नुकसान का कुछ भी इख्तियार नहीं रखता मगर जो अल्लाह चाहे, और अगर मैं ग़ैब की बातें जानता होता तो बहुत से फायदे जमा कर लेता और मुझको कोई तकलीफ न पहुचती. मैं तो मोमिनों को डराने और खुशखबरी सुनाने वाला हूँ."
(सूरह अल-अराफ़, आयत 188)
मगर इन आयतों के बावजूद भी हमारे कुछ मौलवी साहब ज़बरदस्ती ये साबित करने पे तुले होते हैं के उन्हें इल्मे ग़ैब था...जबकि अल्लाह खूब रसूल्लाह के पाक जुबां से ये कहलवा रहा के उन्हें इल्मे ग़ैब नहीं.
कुछ उलेमा इस बात पे बहस करेंगे के उन्हें सभी बातों का इल्म था, मगर ऐसा बिलकुल भी नहीं है और ऐसी सैकड़ों हदीस और क़ुरआन की आयतें हैं जो ज़ाहिर करती हैं के उन्हें बहुत सी पोशीदा बातों का इल्म नहीं था,सिवाय अल्लाह के.
हज़रते अनस रज़ि० से रिवायत है के मुहम्मदुर रसूलल्लाह ﷺ उन दिनों बहुत ही ग़मगीन थे और उन काफिरों के लिए बददुआ करते थे जिन्होंने आप ﷺ के साथ के अहद को तोड़ दिया और आप ﷺ के भेजे हुए क़रीब 70 कारियों को जिन्हें आपने उन मुशरेकीन की तालीम के लिए भेज था, मुशरिकीन ने उन्हें मार डाला. आप ﷺ दुवाए क़ुनूत पढ़ते और उन मुशरिक़ों के लिए बददुआ करते.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर 1002, 1300)
ऊपर की हदीस से ये ज़ाहिर होता है के रसूल्लाह ﷺ को बिलकुल भी इल्म नहीं था की मुशरेकीन अपना मुआहिदा तोड़ कर वादा ख़िलाफ़ी करेंगे और सभी आलिमे-क़ुरआन को मार डालेंगे, वरना यक़ीनन यक़ीनन वो उन्हें उन मुशरिक़ों को इल्म सिखाने को बिलकुल भी न भेजते.
एक और हदीस है के
हज़रते आयशा रज़ि० फरमाती हैं के जब रसूलल्लाह ﷺ आसमान पर बदल का टुकड़ा देख लेते थे तो उनके चेहरे का रंग बदल जाता था के कही क़ौमे आद की तरह इसमें कोई अज़ाब न हो.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर- 3206)
इस हदीस से ये बात साफ़ हो जाती है के उन्हें बहुत सी बातों की जानकारी नहीं थी सिवाय इसके जो अल्लाह तआला वही के ज़रिये उन्हें बतला दिया करते.
क़ुरआन की किसी भी आयत या किसी भी सही हदीस से ये साबित नहीं होता के रसूलल्लाह ﷺ को इल्मे ग़ैब था वरना इसका ज़िक्र ज़रूर मिलता और अल्लाह खुद ही उन्हें आलिमे ग़ैब न होने का ऐलान न करवाता.
हज़रते आयशा रज़ि० ने फ़रमाया के जो शख्श तुमसे ये तीन बातें बयां करे वो झूठ है
1. पहली बात के रसूलल्लाह ﷺ ने अपने रब को देखा है,
2. दूसरी बात ये के रसूलल्लाह ﷺ आने वाले कल की बात (ग़ैब की बात) जानते हैं,
3. और तीसरी ये के रसूलल्लाह ﷺ ने दीन के मुआमले में कोई बात छुपाई थी.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर-4855, सही मुस्लिम , हदीस नंबर-177)
इस हदीस ने भी ज़ाहिर कर दिया के मुहम्मद ﷺ को इल्मे ग़ैब नहीं था और वो आने वाले कल की बातें नहीं जानते थे और न ही उन्होंने दीन के मुआमले में कोई बात छुपाई थी.
मतलब साफ़ ज़ाहिर है के जो भी ये कहे के आप ﷺ को ग़ैब का इल्म था, वो कज़्ज़ाब है, झूठा है और उसकी बात का यक़ीन नहीं करनी चाहिए .
क़ुरआन की एक आयत जिसे मैं अक्सर सुबूत की तरह से इनकी तरफ से इस्तेमाल होते हुए देखता हूँ वो ये है के:
"(अल्लाह ) ग़ैब की बात जानने वाला है और किसी पर अपने ग़ैब को ज़ाहिर नहीं करता. हाँ जिस पैग़म्बर को पसंद फरमाये तो उस (को ग़ैब की बात बता देता है और उसके ) आगे और पीछे निगेहबान मुक़र्रर कर देता है."
(सूरह जिन्न, आयत 26-27)
इस आयत की तफ़्सीर बयान करते हुए कुछ उलेमा ये साबित करने की कोशिश करते हैं के अल्लाह ने उन्हें इल्मे ग़ैब आता किया था और अल्लाह इसी बात को यहाँ इस आयत में वाज़ेह कर रहा है.
बेशक अल्लाह जिसे ग़ैब की बात बताना चाहे बता देता है और अल्लाह ने क़ुरआन में जगह जगह ये ऐलान भी किया है के वही के ज़रिये अल्लाह अपने प्यारे महबूब ﷺ को ग़ैब की कुछ बाते बी अतय करते थे और ये सही भी है ....मगर इस से ये तफ़्सीर बयान करना के आप ﷺ के पास इल्मे ग़ैब का होना साबित हो गया, ग़लत है जैसा के ऊपर वाज़ेह किया गया है .
अल्लाह हम सबको क़ुरान-ओ- सुन्नत पे ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता करे. (आमीन)
आज हम इस मुद्दे पे रौशनी डालेंगे की क्या मुहम्मदुर रसूलल्लाह ﷺ को इल्म ग़ैब था या नहीं.
बहुत से लोगों का ये कहना है के अल्लाह के रसूल को इल्मे ग़ैब था और वो आने वाले वक्त की बातें बता दिया करते थे और अल्लाह तआला ने उन्हें ये इल्म आता किया था के के वो ग़ैब की जानकारी भी दे सकें. क्या ये बात सही है?
सबसे पहले हम ये जान लें की ग़ैब क्या है और ग़ैब को जानने वाला कौन है और किसे हम आलिमुल ग़ैब कह सकते हैं.
ग़ैब से मुराद वो बात जो हमारी नज़र और जानकारी में नहीं है और जो हम पे ज़ाहिर नहीं है, छुपा हुआ है.
अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है :
"(अल्लाह ) ग़ैब की बात जानने वाला है और किसी पर अपने ग़ैब को ज़ाहिर नहीं करता."
(सूरह जिन्न, आयत 26)
इस आयत में साफ़ ज़ाहिर है के अल्लाह ग़ैब को जानने वाला है, मतलब अल्लाह को हर चीज़ का इल्म है. अब ज़रा इस बात पे ग़ौर करते हैं के ग़ैब जानने वालों में क्या खूबियां होती हैं, ताकि ये साफ़ हो जाये के नबीए क़रीम ﷺ को ग़ैब का इल्म था या नहीं.
हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि० ने बयान किया के रसूलल्लाह ﷺ फरमाते हैं के ग़ैब की पांच कुंजियाँ हैं जिन्हें अल्लाह के सिवा और कोई नहीं जानता:
1. माँ के पेट में क्या है
2. कल क्या होगा,
3. बारिश कब आएगी
4. किस जगह कोई मरेगा
5. क़यामत कब आएगी
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर ,1039, 4627, 7379, तिर्मिज़ी 3290)
इस हदीस में अल्लाह के रसूल ने वाज़ेह कर दिया है के ग़ैब का इल्म रखने वालों को किन-किन बातों की जानकारियां होती हैं या होनी चाहिए.
क्या अल्लाह के रसूल को इन बातों की जानकारियां थीं? जैसा के बहुत से उलेमा का दावा है के नबी को इल्मे ग़ैब था...तो फिर यक़ीनन इस हदीस की कसौटी पर उनकी बात खरी उतारनी चाहिए.
अल्लाह अपने रसूल ﷺ से फरमाता है:
"ये लोग आपसे क़यामत के बारे में पूछते हैं के इसके वाकेअ होने का वक्त कब है, कह दीजिये के इसका इल्म तो मेरे परवरदिगार ही को है....."
(सूरह अल-अराफ़, आयत नंबर 187)
इस आयत से साफ़ ज़ाहिर है के रसूलल्लाह को क़यामत का इल्म नहीं था और अल्लाह तआला उनसे ऐलान भी करा रहा है.
फिर एक हदीस है के
हज़रते अबु मूसा अशअरी रज़ि० से एक हदीस रिवायत है के एक दफा सूरज ग्रहण हुआ तो नबीए क़रीम ﷺ बहुत घबरा कर उठे इस डर से के कहीं क़यामत न क़ायम हो जाये..
(सही बुखारी, हदीस नंबर-1059)
यह भी ज़ाहिर है के रसूलल्लाह को क़यामत का इल्म नहीं था वरना तो उन्हें खौफ न होती क्योंके उन्हें क़यामत के सही वक्त का इल्म होता.
इन दोनों सुबूतों से साबित ये हुआ के नबीए क़रीम ﷺ को इल्मे ग़ैब नहीं था.
फिर इन्होंने बहुत सी ऐसी बातें कैसे बता दी जो आइंदा वक़्त की थी और गुज़स्ता दौर की भी??
एक हदीस है के
हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ि० से रिवायत है के अल्लाह के रसूल ﷺ ने एक दफा मिम्बर पे खड़े हो कर हमे इब्तिदाए ख़ल्क़ से ले कर जन्नती और जहन्नमी लोगों के आखरी पड़ाव तक की तफ्सील बता दी, जिसे याद रखना था याद रखा, और जिसे भूलना था भूल गया.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर-3192)
अक्सर कुछ मौलवी हज़रात इस हदीस का हवाला देते हुए ये साबित करने की कोशिश करते हैं के उन्हें माज़ी के साथ साथ मुस्तक़बिल का भी इल्म था और वो आलिमे ग़ैब थे.
बेशक ये हदीस सही है मगर इसका ये मफ़हूम बिलकुल भी नहीं के वो इल्मे ग़ैब को जानने वाले थे, बल्कि वो सिर्फ उन्ही बातों को बयान करते थे जो अल्लाह उन्हें बताता और अल्लाह उन्हें वही के ज़रिये बहुत सी बातें बता देता था.
अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है :
"ये ग़ैब की कुछ ख़बरें हैं जो हम तेरी तरफ वही कर रहे हैं , इस से पहले न तू ही इन्हें जानता था और न ही तेरी क़ौम.."
(सूरह हूद, 49)
"(ऐ पैग़म्बर) ये ग़ैब की ख़बरें हैं जो हम तुम्हारी तरफ भेजते हैं.."
(सूरह युसूफ, 102)
"ये ग़ैब की कुछ खबरें हैं जो (ऐ रसूल) हम तेरी तरफ वही कर रहे हैं..."
(सूरह आले इमरान , 44)
ऊपर के सभी आयतों से एक बात साफ़ ज़ाहिर है के अल्लाह के रसूल ﷺ को इल्मे ग़ैब नहीं था बल्कि उनको अल्लाह तआला वही (पैग़ाम) के ज़रिये बहुत सी पोशीदा बातें बता दिया करते थे और वही(पैग़ाम) के ज़रिये ही उन्हें कुछ बातों का इल्म होता जिन्हें अल्लाह बताना चाहते. यहाँ पे फिर से एक दफा दुहराना चाहता हूँ के कुछ बातों का इल्म, और वो भी जो अल्लाह ने वही के ज़रिये उन्हें बताया.
अल्लाह तआला बार बार अपने प्यारे महबूब ﷺ से ऐलान करवा रहा है के आप कह दें के आपको ग़ैब का कुछ इल्म नहीं है बस आप उतना ही जान पाते हैं जितना के अल्लाह आपको बताना चाहे....
पेश है क़ुरआन की कुछ आयतें :
"(ऐ नबी) कह दीजिये के मैं तुमसे ये नहीं कहता के मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं और न ये के मैं ग़ैब जानता हूँऔर न तुमसे ये कहता हूँ के मैं फरिश्ता हूँ. मैं तो सिर्फ उस हुक्म पे चलता हूँ जो अल्लाह की तरफ से आता है. कह दो के भला अँधा और आँख वाले बराबर होते हैं? तो फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते ?"
(सूरह अल-अनाम, आयत नंबर 50)
अल्लाह फरमाता है
"कह दीजिये के अल्लाह के सिवा आसमानों और ज़मीनों में कोई भी ग़ैब की बात नहीं जानता, और उन्हें ये भी नहीं पता के कब (दुबारा) उठाये जायेंगे."
(सूरह नमल, आयत 65)
अल्लाह अपने प्यारे नबी से फरमाता हैं :
"कह दीजिये के मैं कोई नया पैग़म्बर नहीं आया, और मैं नहीं जानता के मेरे साथ क्या सुलूक किया जायेगा और तुम्हारे साथ क्या (किया जायेगा), मैं तो उसी की पैरवी करता हूँ जो मुझ पर वही आती है, और मेरा काम तो ऐलानिया हिदायत करना है."
(सूरह अल-अहक़ाफ़, आयत 9)
अल्लाह तआला अपने प्यारे रसूल को मुखातिब करते हुए कहते हैं
"कह दीजिये के मैं अपने फायदे या नुकसान का कुछ भी इख्तियार नहीं रखता मगर जो अल्लाह चाहे, और अगर मैं ग़ैब की बातें जानता होता तो बहुत से फायदे जमा कर लेता और मुझको कोई तकलीफ न पहुचती. मैं तो मोमिनों को डराने और खुशखबरी सुनाने वाला हूँ."
(सूरह अल-अराफ़, आयत 188)
मगर इन आयतों के बावजूद भी हमारे कुछ मौलवी साहब ज़बरदस्ती ये साबित करने पे तुले होते हैं के उन्हें इल्मे ग़ैब था...जबकि अल्लाह खूब रसूल्लाह के पाक जुबां से ये कहलवा रहा के उन्हें इल्मे ग़ैब नहीं.
कुछ उलेमा इस बात पे बहस करेंगे के उन्हें सभी बातों का इल्म था, मगर ऐसा बिलकुल भी नहीं है और ऐसी सैकड़ों हदीस और क़ुरआन की आयतें हैं जो ज़ाहिर करती हैं के उन्हें बहुत सी पोशीदा बातों का इल्म नहीं था,सिवाय अल्लाह के.
हज़रते अनस रज़ि० से रिवायत है के मुहम्मदुर रसूलल्लाह ﷺ उन दिनों बहुत ही ग़मगीन थे और उन काफिरों के लिए बददुआ करते थे जिन्होंने आप ﷺ के साथ के अहद को तोड़ दिया और आप ﷺ के भेजे हुए क़रीब 70 कारियों को जिन्हें आपने उन मुशरेकीन की तालीम के लिए भेज था, मुशरिकीन ने उन्हें मार डाला. आप ﷺ दुवाए क़ुनूत पढ़ते और उन मुशरिक़ों के लिए बददुआ करते.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर 1002, 1300)
ऊपर की हदीस से ये ज़ाहिर होता है के रसूल्लाह ﷺ को बिलकुल भी इल्म नहीं था की मुशरेकीन अपना मुआहिदा तोड़ कर वादा ख़िलाफ़ी करेंगे और सभी आलिमे-क़ुरआन को मार डालेंगे, वरना यक़ीनन यक़ीनन वो उन्हें उन मुशरिक़ों को इल्म सिखाने को बिलकुल भी न भेजते.
एक और हदीस है के
हज़रते आयशा रज़ि० फरमाती हैं के जब रसूलल्लाह ﷺ आसमान पर बदल का टुकड़ा देख लेते थे तो उनके चेहरे का रंग बदल जाता था के कही क़ौमे आद की तरह इसमें कोई अज़ाब न हो.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर- 3206)
इस हदीस से ये बात साफ़ हो जाती है के उन्हें बहुत सी बातों की जानकारी नहीं थी सिवाय इसके जो अल्लाह तआला वही के ज़रिये उन्हें बतला दिया करते.
क़ुरआन की किसी भी आयत या किसी भी सही हदीस से ये साबित नहीं होता के रसूलल्लाह ﷺ को इल्मे ग़ैब था वरना इसका ज़िक्र ज़रूर मिलता और अल्लाह खुद ही उन्हें आलिमे ग़ैब न होने का ऐलान न करवाता.
हज़रते आयशा रज़ि० ने फ़रमाया के जो शख्श तुमसे ये तीन बातें बयां करे वो झूठ है
1. पहली बात के रसूलल्लाह ﷺ ने अपने रब को देखा है,
2. दूसरी बात ये के रसूलल्लाह ﷺ आने वाले कल की बात (ग़ैब की बात) जानते हैं,
3. और तीसरी ये के रसूलल्लाह ﷺ ने दीन के मुआमले में कोई बात छुपाई थी.
(सहीह बुखारी, हदीस नंबर-4855, सही मुस्लिम , हदीस नंबर-177)
इस हदीस ने भी ज़ाहिर कर दिया के मुहम्मद ﷺ को इल्मे ग़ैब नहीं था और वो आने वाले कल की बातें नहीं जानते थे और न ही उन्होंने दीन के मुआमले में कोई बात छुपाई थी.
मतलब साफ़ ज़ाहिर है के जो भी ये कहे के आप ﷺ को ग़ैब का इल्म था, वो कज़्ज़ाब है, झूठा है और उसकी बात का यक़ीन नहीं करनी चाहिए .
क़ुरआन की एक आयत जिसे मैं अक्सर सुबूत की तरह से इनकी तरफ से इस्तेमाल होते हुए देखता हूँ वो ये है के:
"(अल्लाह ) ग़ैब की बात जानने वाला है और किसी पर अपने ग़ैब को ज़ाहिर नहीं करता. हाँ जिस पैग़म्बर को पसंद फरमाये तो उस (को ग़ैब की बात बता देता है और उसके ) आगे और पीछे निगेहबान मुक़र्रर कर देता है."
(सूरह जिन्न, आयत 26-27)
इस आयत की तफ़्सीर बयान करते हुए कुछ उलेमा ये साबित करने की कोशिश करते हैं के अल्लाह ने उन्हें इल्मे ग़ैब आता किया था और अल्लाह इसी बात को यहाँ इस आयत में वाज़ेह कर रहा है.
बेशक अल्लाह जिसे ग़ैब की बात बताना चाहे बता देता है और अल्लाह ने क़ुरआन में जगह जगह ये ऐलान भी किया है के वही के ज़रिये अल्लाह अपने प्यारे महबूब ﷺ को ग़ैब की कुछ बाते बी अतय करते थे और ये सही भी है ....मगर इस से ये तफ़्सीर बयान करना के आप ﷺ के पास इल्मे ग़ैब का होना साबित हो गया, ग़लत है जैसा के ऊपर वाज़ेह किया गया है .
अल्लाह हम सबको क़ुरान-ओ- सुन्नत पे ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता करे. (आमीन)
GREAT POST
ReplyDeleteJazaJazaka bahut hi axha post hain kafi sikhne ko mila Allah appko jazaye khairde
ReplyDeleteVery nice post
ReplyDeleteYe Haq Hai Nabi Sallallahu alayhi Wasallam Ko ilmeghaib
ReplyDeletenahi tha
Bani ko ilmegeb tha lekina llah trak o taala ne quraan me is tarah irshad kion farmaya Jante ho kion
DeleteKion aur nabiyoon aur rasoojun ki tarah kaom inko bhi apna khuda na mane samjhe
Yakeen na hu to quraan ka mutala sahi dheng se mutala kar ke dekh khud pata chal jayga
Koi bhi mujh se bat kr sakta h mera no. Ye h +918755668249
ReplyDeleteMusalmano sudhar jao
Dewandi ke behkabe me aa jate ho
Dewandi to ye bhi kehte h ki Nabi mrkr mitti me mil gye
Shrm nhi aati inko dewandi ko
Aala Hazart ko kuch bhi bol dete hai jahil dewandi
Me kehta hu ki Nabi ko ilm ghaib tha
मलफुजात आला हजरत
Deleteभाग ३
सफा ३३,३४
मे देख लो
कुर्आन को नहीं मानते हदीस नही मानते तो अपने काला अदरक की ही माव लो ना
वाट्सअप नंबर.
+96599337523
Abe jahil insan kitne gumrah ho tum logo Ashraf Ali thanvi ke chelo wo to tatteee per mar gya suno adha adhura ilm deke kese gumrah krte ho tum logo ko surah jin ayat no26 me allha faramaya hai gaib ka janne wala har kisi ko gaib ka ilm nhi deta ye tum logo ne apne matlb ki ayat huta li or post krdi aage surah jinn ayat no27 bhi padlete jisme allha farmaya h jin rassoolo se allha razzi hota h unko ggaib ata krta hai
DeleteSurah Ale imaran ayat no44.179 bhi padlo gumrah kyu krte ho logo allha farmata hai jin rasoolo se me raazi hota hun jinko chun leta hun unko gaib deta hu
DeleteNabi ko ilme gab tha
ReplyDeletenice, send your post on my whatsapp.
ReplyDeleteMy whatsapp link is https://wa.me/917633976586
Masha Allah
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteमुनाफ़िक़ो) ख़ुदा ऐसा नहीं कि बुरे भले की तमीज़ किए बगैर जिस हालत पर तुम हो उसी हालत पर मोमिनों को भी छोड़ दे और ख़ुदा ऐसा भी नहीं है कि तुम्हें गैब की बातें बता दे मगर (हॉ) ख़ुदा अपने रसूलों में जिसे चाहता है चुन लेता है पस ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और अगर तुम ईमान लाओगे और परहेज़गारी करोगे तो तुम्हारे वास्ते बड़ी जज़ाए ख़ैर है|||
ReplyDeleteSurah Imran Ayat 179
Aur Ye Nabi Gaib batane main Kanjoos nahi”.
ReplyDeleteSurah Takweer, Ayat no 24
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ReplyDeleteहज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि० ने बयान किया के रसूलल्लाह ﷺ फरमाते हैं के ग़ैब की पांच कुंजियाँ हैं जिन्हें अल्लाह के सिवा और कोई नहीं जानता:
ReplyDelete1. माँ के पेट में क्या है
2. कल क्या होगा,
3. बारिश कब आएगी
4. किस जगह कोई मरेगा
5. क़यामत कब आएगी
इस हदीस को देख कर यही लगता है,,की या तो ये सब किताब ही झूठी है,,
या ये बोलागर मुनाफ़िक़ है,,
सोनोग्राफी से पेट मे क्या है ये हाल जाना जा सकता है,,
मौसम विभाग पहले ही बारिश का बता देता है
तुम जैसे लोग अपने जाती मफाद के लिये दिन को भी बदलाम करने से गुरेज़ नही करते ,,तुम शैतान परस्त लोग हो,,
लानत हो तुम जैसो पर
Is post me aadhi adhuri jankari di gayi hai aadha adhura ilm Insaan Ko gumrah kar deta hai
ReplyDeleteYeh post banane wala gustakh hai gumrah hai aur logon ko gumrah kar raha hai
Aap apna mobile number is number per send kijiega jisne Google per is jankari ko likha hai yah mera number hai Ahmad Husain 6304555252
ReplyDeleteJisne bhi yah maloomat likhi hai aadi adhuri likhi hai aur mujhko lagta hai yah wahabhi eyonkiwebsite hai vakai mein agar tum halali ho is number per WhatsApp kijiega intezar karunga main is website per jitni bhi jankari hai Aadhi adhuri batai gai hai aur galat batai gai hai agar tum sacche ho ulamaye ahale sunnat se munajra kyu nahin karte
Bewakoof gadhe kya likha hai tune likha jarur sahi hai lekin dalile galat diya hai aur aadi bataya hai tune aadi nahin bataya hai
ReplyDeleteSurah jin no26 in deobandio ki Mtlb ki ayat thi to in logo ne isko huta kr post krdi taki log gumrah ho wahi surah jinn ayat no27 nhi dikhayi Jisme allha farmata hai ki jin rasoolo se ALLHA raazi hota hai unko gaib ata krta hai ye deobandi sirf kuch ayat per iman rakhte h jo inke Mtlb or inke akide or inke maslak ke kaam aati h wahi ayat per iman h inka pure Qur'an per iman nhi h inka tabhi to apne matlb ki ayat huta lete h or logo ko gumrah krte h
ReplyDeleteSurah Ale imaran ayat 44 or 179 me ALLHA farmata hai jin rasoolo se wo raazi hota hai jinko chun leta hai unko gaib ata krta ab tum log btao apne Rasool se raazi hai ya nhi? Kyu gumrah hote ho in deobandio k chakkar me ye to tumara iman hi cheenn ne aaye hain gumrah krne
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