मेराज का वाकिया इस्लामिक तारिख में एक अहम् तरीन वाकिया है जिसमे मुहम्मदुर रसूलल्लाह ﷺ को अल्लाह तआला ने अपनी बड़ी बड़ी निशानियों को दिखाया, उनसे अम्बिया की मुलाकात कराई, उन्हें आसमानो की सैर करवाई गयी, उन्हें जन्नत और दोज़ख को दिखाया गया और सबसे बड़ी बात के उन्हें अल्लाह की तरफ से एक अज़ीम तोहफा दिया गया जो के उनकी पूरी उम्मत के लिए था, और वो तोहफा था पांच नमाज़.
आइये मेराज के बारे में थोड़ी तफ्सील से जानें:
मेराज दरअसल एक सफर नहीं बल्कि दो सफर का पूरा वाकिया है जिसे अगर इसरा और मेराज का सफर कहें तो ज़्यादा बेहतर होगा, क्योंके एक सफर में आप ﷺ मस्जिद-हराम (खान-ए-काबा) से मस्जिदे अक़्सा (बैतूल मक़दिस) को गए और फिर दूसरा सफर आसमानों का किया जहाँ आप सातों आसमान पे गए और सिदरतुल मुंतहा पे भी आपको ले जाया गया और फिर आपको जन्नत और जहन्नुम की भी सैर कराई गयी.
रात के वक्त अल्लाह के रसूल ﷺ सोये हुए थे के रात के किसी पहर आपके घर की छत फटी और जिब्राइल अलैहि० वहां आये और आपको मस्जिदे हराम ले जाया गया, आप पर उस वक्त गुनूदगी तारी थी. आप को वह ले जा कर लिटा दिया गया और फिर आपके सीने को पेट के निचे तक चाक किया गया और आपके दिल- गुर्दे को ज़मज़म से धोया गया. फिर एक कटोरी लायी गयी जिसमें ईमान था और इसे आपके सीने में डाला गया और फिर सारी चीज़ों को वापिस रख कर चाक सीने को बंद कर दिया गया.
आप ﷺ के सामने एक सवारी लायी गयी जो क़द में गधे से थोड़ा बड़ा और खच्चर से थोड़ा छोटा था और जो सफ़ेद रंग का था जिसका नाम बुर्राक़ था. इस जानवर के बारे में आप ﷺ ने बताया के इसकी नज़र जहाँ तक जाती, उसका अगला क़दम वही होता. आप ﷺ उसपर सवार हुए और मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक़्सा पहुँचे.
इस सफर का ज़िक्र अल्लाह तआला ने क़ुरआने करीम में भी किया है. अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है :
"वह ज़ात पाक है जो ले गया अपने बन्दे को मस्जिद-हराम (खान-ए-काबा) से मस्जिदे अक़्सा (बैतूल मक़दिस) तक जिसके इर्द गिर्द हमने बरकतें राखी हैं, ले गया ताकि हम उसे अपनी क़ुदरत की निशानिया दिखाएँ बेशक वह सुनने वाला और देखने वाला है."
(सूरह 17 इस्राइल, आयत 1)
कुछ रिवायत में ये भी हैं के इसरा के सफर के दौरान आपका गुज़र एक लाल रंग के टीले के पास से हुआ. वहाँ आपने हज़रते मूसा अलैहि० को देखा. आपने देखा के हज़रते मूसा अलैहि० अपनी क़बर में खड़े हो कर नमाज़ पढ़ रहे हैं.
आप मस्जिदे अक़सा पहुँचे और वहां आपने उस बुर्राक़ को उस जगह पे बांध दिया जहाँ अम्बिया अपने सवारियों को बाँधा करते थे. फिर आप मस्जिद-ए-अक़्सा में दाखिल हुए जहाँ तमाम अम्बिया और रसूल मौजूद थे. आपने वहाँ नमाज़ पढाई और सबने आपकी इमामत में नमाज़ पढ़ी.
उसके बाद आपके पास जिब्राइल अलैहिस्सलाम दो प्याले ले कर आये जो की एक शराब का प्याला था और दूसरा दूध का प्याला. उन्होंने आप ﷺ से कोई एक प्याला लेने को कहा. आपने दूध का प्याला उठाया. फिर जिब्राइल अलैहि० ने फ़रमाया के आप ने फितरत को चुना और आप और आपकी उम्मत फितरत पे हैं.
सबसे पहले जिब्राइल आपको ले कर पहले आसमान पे पहुँचे. जिब्राइल ने वहां दस्तक दी तो दूसरी तरफ से पूछा गया के कौन है?
जिब्राइल ने अपना नाम बताया, फिर पूछा गया के साथ में कौन है?
जिब्राइल ने कहा के मुहम्मद ﷺ मेरे साथ हैं.
फिर पूछा गया के क्या उनके साथ यह आने की आपको इजाज़त मिली है?
जिब्राइल ने क़ुबूल किया के उन्हें अल्लाह ने इसका हुक्म दिया है.
फिर आवाज़ आयी के मरहबा प्यारे रसूल,आपको यहां आना मुबारक फिर दरवाज़ा खोल गया.
आप ﷺ जिब्राइल के साथ पहले आसमान पे दाखिल हुए, वहां आपने एक बुज़ुर्ग को देखा आपने जिब्राइल से सवाल किया के ये बुज़ुर्ग शख्श कौन हैं?
जिब्राइल ने कहा के ये आपके बाप हज़रते आदम अलैहिस्सलाम हैं, इन्हें सलाम कीजिये.
आपने हज़रते आदम अलैहिस्सलाम को सलाम किया.
हज़रते आदम ने जवाब दिया और फ़रमाया के मरहबा ऐ नेक बेटे और सालेह रसूल.
फिर आप जिब्राइल के साथ दुसरे आसमान पे गए वहाँ पे भी जिब्राइल से उसी तरह दरवाज़े पे पूछ-ताछ हुई और आप ﷺ का इस्तक़बाल किया गया और फिर आपने दुसरे आसमान पे हज़रते यहया अलैहि० और हज़रते ईसा अलैहि० से मुलाक़ात हुई और सलाम कहा. आप ﷺ फरमाते हैं की हज़रते ईसा अलैहि० दरमियान कद के हैं और सुर्ख रंगत है, बाल घुँघराले कन्धों तक और ऐसा के जैसे अभी अभी नहाये हों.
हज़रते यहया अलैहि० और हज़रते ईसा अलैहि० आपस में ख़ालाज़ाद भाई हैं.
हज़रते यहया और हज़रते ईसा अलैहि० ने भी उनका इस्तक़बाल किया और कहा मरहबा ऐ प्यारे भाई और प्यारे नबी.
फिर जिब्राइल आपको तीसरे आसमान की तरफ ले चले. तीसरे आसमान के दरवाज़े पर भी पहले और दुसरे आसमान की तरह पूछ-ताछ हुई और फिर आप तीसरे आसमान पे दाखिल हुए.
यहाँ आपने एक ख़ूबसूरत शख्स को देखा और जिब्राइल से दरयाफ्त की के ये कौन हैं?
जिब्राइल ने फ़रमाया, ये हज़रते युसूफ अलैहि० हैं.
यहां भी आपका इस्तक़बाल प्यारे भाई और प्यारे रसूल मरहबा कह कर किया गया.
फिर आप चौथे आसमान की तरफ गए और पूछ-ताछ हुई और आपने फिर चौथे आसमान पे क़दम रखा. आपने वहाँ हज़रते इदरीस अलैहि० को देखा और उनसे मुलाकात की. इदरीस अलैहि० भी आपसे मुहब्बत से मिले और आपका इस्तक़बाल उन्ही लफ़्ज़ों में किया जैसा के पिछले आसमानों पर.
फिर आप पांचवे आसमान की पर गए और वहाँ भी पूछ-ताछ के बाद आपने वहाँ हज़रते हारुन अलैहि० को देखा जो हज़रते मूसा अलैहि० के बड़े भाई भी थे. हज़रते हारुन ने भी उनका इस्तक़बाल प्यारे भाई और प्यारे नबी जैसे अल्फ़ाज़ों से किया.
फिर आप छठे आसमान पे पहुँचे और वहां आपकी मुलाक़ात मूसा अलैहि० से हुई. उन्होंने भी आपका इस्तक़बाल बहुत अच्छे से किया और प्यारे भाई और प्यारे नबी कहा. फिर आप आगे बढ़ने लगे तो अपने देखा के मूसा अलैहि० रोने लगे. आपने रोने की वजह जानना चाही. उन्होंने (हज़रते मूसा) बताया के आप मेरे बाद आने वाले नबी हैं मगर मेरी उम्मत आपकी उम्मत के मुक़ाबले छोटी होगी. बस इसलिए मेरी आँखों में आंसू हैं.
फिर आप आखरी और सातवें आसमान पे गए और यहाँ आपने एक बुज़ुर्ग को देखा और जिब्राइल अलैहिस्सलाम से पूछा के ये कौन हैं?
जिब्राइल ने कहा ये आपके बाप हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम हैं उन्हें सलाम कीजिये.
आपने उन्हें सलाम किया और हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उनके इस्तक़बाल नेक और सालेह बेटे और सालेह नबी कह कर किया.
यहाँ आपने बैतूल मामूर का भी दीदार किया. बैतूल मामूर , बैतुल्लाह (काबा शरीफ) के एक दम सीध में सातवें आसमान पे है और इसके बारे में बयान है के 70,000 (सत्तर हज़ार) फ़रिश्ते एक दफा में इसका तवाफ़ करते हैं और जो फरिश्ता एक दफा बैतूल मामूर का तवाफ़ कर लेता है फिर उसको क़यामत तलक तवाफ़ का दूसरा मौक़ा नहीं मिलेगा.
फिर जिब्राइल अलैहि० आपको ले कर आगे बढे और आप दोनों सिदरतुल मुन्तहा को पहुँचे. यहां अपने एक दरख़्त देखा जिसके पत्ते हाथी के कानों के बराबर थे और जिसपे बड़े बड़े घड़ों जैसे बड़े फल लगे हुए थे. उसकी जड़ों से चार नहरें फूट रही थीं. जिब्राइल ने आपको बताया के इनमे से दो नहरें बातिन हैं जो जन्नत की तरफ जाती हैं और दो नहरें दुनिया की तरफ. दुनिया की तरफ जाने वालीं नहरें नील और फुरात हैं.
जिब्राइल ने बताया के ये सिदरतुल मुन्तहा आखरी छोर है जहाँ से आगे किसी को जाने की इजाज़त नहीं है और आपको अकेला आगे जाने को कहा. आप आगे बढ़े.
आपको इस जगह अल्लाह ने पचास फ़र्ज़ नमाज़ों का तोहफा दिया. आप बहुत खुश हुए.
आप ﷺ इस तोहफे के साथ वापिस आये और जब आप ﷺ का गुज़र छठे आसमान से हुआ तो आपको हज़रते मूसा अलैहि० ने रोका और पूछा के उनके मेराज में क्या मिला. आपने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम को बताया के आपको तोहफे में अल्लाह तबारक-व-तआला ने ५० नमाज़ें दी हैं.
ये सुन कर हज़रते मूसा अलैहि० ने उन्हें मश्विरा देते हुए कहा के आपकी उम्मत के लिए मुहाल होगा इसलिए आप वापिस जाएँ और नमाज़ों की तादाद काम कराएँ.
आप वापिस गए और फिर तादाद काम करा कर वापिस मूसा के पास से गुज़रे. फिर मूसा ने सवाल किया के कितना काम हुआ तो आपने बताया ५ कम हुआ (कुछ रिवायत में 10). मूसा ने उन्हें फिर से वापस जाने और कम कराने का मशवरा दिया.
ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक के आपके तोहफे की तादाद 5 नमाज़ें न हो गयी.
मूसा अलैहि० ने ये सुना तो फिर फ़रमाया के आपकी उम्मत के लिए ये 5 नमाज़ें भी मुहाल होंगी क्योंके मैंने बनी इस्राइल का हाल देखा है. आप फिर से वापस जाएँ और इन्हें कम कराएँ.
आप ﷺ ने फ़रमाया ऐ मूसा, मैं अपने रब से राज़ी हो गया, अब मैंने वापस नहीं जाऊंगा. मुझे अपने रब से हया आती है.
तभी एक आवाज़ आयी,के ऐ मुहम्मद ﷺ, मैंने आपकी उम्मत की हर नेकी को 10 गुना बढ़ दिया है. मतलब जो 5 नमाज़ें हैं बेशक वो तादाद में 5 हैं मगर उसके बदले 50 नमाज़ों का सवाब मिलेगा. अल्लाह अपने क़ौल से फिरा नहीं करता .
फिर आपने मूसा से विदा ली और आगे को चले.
कुछ रिवायत में है के यहाँ भी आपके सामने जिब्राइल ने 3 (किसी रिवायत में 4 ) प्याले पेश किये जिनमे शराब, शहद, दूध (और पानी) था. फिर आपसे कोई एक प्याला उठाने को कहा गया.
आप ﷺ ने दूध का प्याला उठाया. जिब्राइल ने उनसे ﷺ कहा के आप फितरत पे हैं...मतलब ईमान के साथ सही दीन पे हैं.
इस मेराज के सफर के दौरान आपको जन्नत की तरफ भी ले जाया गया. आपने जन्नत में नहर-ए-कौसर को देखा, जिसके दोनों किनारे बड़े बड़े मोतियों जैसे घर थे और जिसकी सतह मुश्क की थी.
आपने उसमे हाथ डाल कर देखा. फिर आपने जन्नत के मैदानों और बागों को देखा.
आपको जहन्नम की भी सैर करवाई गयी . आपने जहन्नम के दारोगा जिसका नाम मालिक है उसको देखा. आपने एक शख्श को देखा जिसके नाख़ून पीतल के थे और वो अपने चेहरे और बदन को नोच रखा था. आपने पूछा के ये कौन है, जिब्राइल ने फ़रमाया ये वो है जो दूसरों की इज़्ज़त से खेलता था और उन्हें शर्मसार करता था.
फिर आपने देखा एक शख्स के बड़े होंटों को आग की कैंची से काटा जा रहा फिर तुरत ही होंठ वापिस आते हैं फिर काटा जाता है. आपने पूछा ये कौन है , जिब्राइल ने फ़रमाया ये वो हैं जिन्होंने अल्लाह की किताब पढ़ी मगर उनके हुक्म का इनकार किया.
(जन्नत और जहन्नम से जुड़े और भी वाकियात पेश आये जिन्हें किसी और पोस्ट में इंशा अल्लाह बयान किये जायेंगे. )
फिर आपको वापस ज़मीन दुनिया की तरफ लाया गया, रास्ते में आपने एक भटकी हुई ऊंटनी भी देखी जो एक काफिले से बिछड़ गयी थी.
आप सुबह को मक्का पहुचे मगर आपको ये ख्याल परेशान कर रहा था के क्या मुशरिकीन आपका ऐतबार करेंगे?
आप इसी सोच में ग़मगीन बैठे हुए थे इतने में आपके पास अबु जहल आया और पूछा, कुछ हुआ है क्या?
आपने उसे कहा के रात के एक पहर में मैं मस्जिदे हराम से बैतूल मक़दिस के सफर को गया. अब जहल ने फिर पूछा के आप रात को गए और सुबह वापस आ भी गए?
आपने फ़रमाया हाँ.
फिर उसने पूछा की क्या आप यही बातें सारे मक्का वालों के सामने कह सकते हैं ?
आपने फिर फ़रमाया हाँ बिलकुल.
अबु जहल ने सभी को वहां जमा किया और आप ﷺ ने उनके सामने भी इस बात का इक़रार किया के आप रात के उस पहर को मस्जिदे अक़्सा गए थे. मगर किसी ने भी यक़ीन न किया बल्कि वो हँसने लगे और अपने सरों पे हाथ रख लिया. उन्हें लगा ये झूट बोल रहे हैं हैं क्योंके ये मुमकिन नहीं है और मस्जिदे अक़्स का सफर वहां से 40 दिन का है, फिर ये कैसे मुमकिन के एक रात में सफर कर के ये वापस भी आ गए. उन्होंने आप ﷺ की बात का इनकार किया.
कुछ लोग जो मस्जिदे अक़्सा जा चुके थे उन्होंने आपसे मस्जिदे अक़्सा के बारे में सवाल किये और उसके बनावट वगैरह के बारे में पूछने लगे. आप ﷺ ये मुश्किल जान पड़ी क्योंके आप ﷺ बेशक वह गए थे मगर एक एक चीज़ याद कैसे रख सकते थे.
अल्लाह तबारक-व-तआला ने मस्जिदे अक़्सा को उनके सामने कर दिया और वो मक्का वालों के सवालों के जवाब देने लगे.
बावजूद इसके उन्होंने आप ﷺ का इनकार किया.
अबु जहल ने आप ﷺ के दोस्तों को आपके खिलाफ करने की साजिश रची और आपके दोस्त हज़रत अबु बकर रज़ि० के पास आया और बोला ऐ अबूबकर (रज़ि०), क्या ये बात काल में आती है के कोई शख्स एक रात में बैतूल मक़दिस जाये और फिर सुबह तक वापिस भी आ जाये?
अबु बकर ने फ़रमाया हरगिज़ नहीं, ये नहीं हो सकता. ऐसा किसने कहा?
अबु जहल बोला की अप्पके दोस्त मुहम्मद ﷺ ऐसा कह रहे हैं.
फिर अबु बकर ने उन्हें फ़ौरन से जवाब दिया की अगर ये क़ौल मुहम्मद ﷺ का है तो फिर ये झूट हरगिज़ हरगिज़ नहीं हो सकता और मैं इस बात पे ईमान रखता हूँ चाहे ये बात अक़्ल में आये या न आये.
अल्लाह के नबी रसूलल्लाह ﷺ को ये बात बहुत ही पसंद आयी और उन्होंने अबु बकर को लक़ब दिया "सिद्दीक" , मतलब सच को क़ुबूल करने वाला, सच की हिमायत करने वाला.
इस तरह हज़रत अबु बकर सिद्दीक रज़ि० कहलाने लगे.
ये मेराज का मुख़्तसर वाकिया है जिसके लिए तफ़्सीर इब्ने कसीर, तफ़्सीर अल-तबरी, तफ़्सीर-कुरतबी, सही मुस्लिम , सही बुखारी , और सुनन हदीसों को शामिल किया गया है और ये मुख़्तसर बयान है.
हमने अपनी तरफ से कोशिश की है के इस वाक़या को लिखने में कही कोई ग़लती न हो, अगर कही ऐसी भूल हुई हो के ग़लत बयानी हो गयी है तो अल्लाह से माफ़ी का का तलबगार हूँ.
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अल्लाह हम सबको किताबुल्लाह और सुन्नते रसूल का पाबंद बनाये. (आमीन)
आइये मेराज के बारे में थोड़ी तफ्सील से जानें:
मेराज दरअसल एक सफर नहीं बल्कि दो सफर का पूरा वाकिया है जिसे अगर इसरा और मेराज का सफर कहें तो ज़्यादा बेहतर होगा, क्योंके एक सफर में आप ﷺ मस्जिद-हराम (खान-ए-काबा) से मस्जिदे अक़्सा (बैतूल मक़दिस) को गए और फिर दूसरा सफर आसमानों का किया जहाँ आप सातों आसमान पे गए और सिदरतुल मुंतहा पे भी आपको ले जाया गया और फिर आपको जन्नत और जहन्नुम की भी सैर कराई गयी.
अल-इसरा
सबसे पहले हम इसरा के सफर की तफ्सील देखेंगे. दरअसल क़ुरआन की आयतें तफ़्सीर और बहुत सी सही हदीसों को जब कड़ी से कड़ी मिलाएं तो पूरी तफ्सील एक मुकम्मल शक्ल में सामने आती है जिसे इंशा अल्लाह हम एक सच्ची हिकायत की सूरत में बयान करेंगे.रात के वक्त अल्लाह के रसूल ﷺ सोये हुए थे के रात के किसी पहर आपके घर की छत फटी और जिब्राइल अलैहि० वहां आये और आपको मस्जिदे हराम ले जाया गया, आप पर उस वक्त गुनूदगी तारी थी. आप को वह ले जा कर लिटा दिया गया और फिर आपके सीने को पेट के निचे तक चाक किया गया और आपके दिल- गुर्दे को ज़मज़म से धोया गया. फिर एक कटोरी लायी गयी जिसमें ईमान था और इसे आपके सीने में डाला गया और फिर सारी चीज़ों को वापिस रख कर चाक सीने को बंद कर दिया गया.
आप ﷺ के सामने एक सवारी लायी गयी जो क़द में गधे से थोड़ा बड़ा और खच्चर से थोड़ा छोटा था और जो सफ़ेद रंग का था जिसका नाम बुर्राक़ था. इस जानवर के बारे में आप ﷺ ने बताया के इसकी नज़र जहाँ तक जाती, उसका अगला क़दम वही होता. आप ﷺ उसपर सवार हुए और मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक़्सा पहुँचे.
इस सफर का ज़िक्र अल्लाह तआला ने क़ुरआने करीम में भी किया है. अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है :
"वह ज़ात पाक है जो ले गया अपने बन्दे को मस्जिद-हराम (खान-ए-काबा) से मस्जिदे अक़्सा (बैतूल मक़दिस) तक जिसके इर्द गिर्द हमने बरकतें राखी हैं, ले गया ताकि हम उसे अपनी क़ुदरत की निशानिया दिखाएँ बेशक वह सुनने वाला और देखने वाला है."
(सूरह 17 इस्राइल, आयत 1)
कुछ रिवायत में ये भी हैं के इसरा के सफर के दौरान आपका गुज़र एक लाल रंग के टीले के पास से हुआ. वहाँ आपने हज़रते मूसा अलैहि० को देखा. आपने देखा के हज़रते मूसा अलैहि० अपनी क़बर में खड़े हो कर नमाज़ पढ़ रहे हैं.
आप मस्जिदे अक़सा पहुँचे और वहां आपने उस बुर्राक़ को उस जगह पे बांध दिया जहाँ अम्बिया अपने सवारियों को बाँधा करते थे. फिर आप मस्जिद-ए-अक़्सा में दाखिल हुए जहाँ तमाम अम्बिया और रसूल मौजूद थे. आपने वहाँ नमाज़ पढाई और सबने आपकी इमामत में नमाज़ पढ़ी.
उसके बाद आपके पास जिब्राइल अलैहिस्सलाम दो प्याले ले कर आये जो की एक शराब का प्याला था और दूसरा दूध का प्याला. उन्होंने आप ﷺ से कोई एक प्याला लेने को कहा. आपने दूध का प्याला उठाया. फिर जिब्राइल अलैहि० ने फ़रमाया के आप ने फितरत को चुना और आप और आपकी उम्मत फितरत पे हैं.
अल-मेराज
आपको जिब्राइल अलैहिस्लाम फिर अपने साथ ले कर आसमानो की तरफ कूच किया.सबसे पहले जिब्राइल आपको ले कर पहले आसमान पे पहुँचे. जिब्राइल ने वहां दस्तक दी तो दूसरी तरफ से पूछा गया के कौन है?
जिब्राइल ने अपना नाम बताया, फिर पूछा गया के साथ में कौन है?
जिब्राइल ने कहा के मुहम्मद ﷺ मेरे साथ हैं.
फिर पूछा गया के क्या उनके साथ यह आने की आपको इजाज़त मिली है?
जिब्राइल ने क़ुबूल किया के उन्हें अल्लाह ने इसका हुक्म दिया है.
फिर आवाज़ आयी के मरहबा प्यारे रसूल,आपको यहां आना मुबारक फिर दरवाज़ा खोल गया.
आप ﷺ जिब्राइल के साथ पहले आसमान पे दाखिल हुए, वहां आपने एक बुज़ुर्ग को देखा आपने जिब्राइल से सवाल किया के ये बुज़ुर्ग शख्श कौन हैं?
जिब्राइल ने कहा के ये आपके बाप हज़रते आदम अलैहिस्सलाम हैं, इन्हें सलाम कीजिये.
आपने हज़रते आदम अलैहिस्सलाम को सलाम किया.
हज़रते आदम ने जवाब दिया और फ़रमाया के मरहबा ऐ नेक बेटे और सालेह रसूल.
फिर आप जिब्राइल के साथ दुसरे आसमान पे गए वहाँ पे भी जिब्राइल से उसी तरह दरवाज़े पे पूछ-ताछ हुई और आप ﷺ का इस्तक़बाल किया गया और फिर आपने दुसरे आसमान पे हज़रते यहया अलैहि० और हज़रते ईसा अलैहि० से मुलाक़ात हुई और सलाम कहा. आप ﷺ फरमाते हैं की हज़रते ईसा अलैहि० दरमियान कद के हैं और सुर्ख रंगत है, बाल घुँघराले कन्धों तक और ऐसा के जैसे अभी अभी नहाये हों.
हज़रते यहया अलैहि० और हज़रते ईसा अलैहि० आपस में ख़ालाज़ाद भाई हैं.
हज़रते यहया और हज़रते ईसा अलैहि० ने भी उनका इस्तक़बाल किया और कहा मरहबा ऐ प्यारे भाई और प्यारे नबी.
फिर जिब्राइल आपको तीसरे आसमान की तरफ ले चले. तीसरे आसमान के दरवाज़े पर भी पहले और दुसरे आसमान की तरह पूछ-ताछ हुई और फिर आप तीसरे आसमान पे दाखिल हुए.
यहाँ आपने एक ख़ूबसूरत शख्स को देखा और जिब्राइल से दरयाफ्त की के ये कौन हैं?
जिब्राइल ने फ़रमाया, ये हज़रते युसूफ अलैहि० हैं.
यहां भी आपका इस्तक़बाल प्यारे भाई और प्यारे रसूल मरहबा कह कर किया गया.
फिर आप चौथे आसमान की तरफ गए और पूछ-ताछ हुई और आपने फिर चौथे आसमान पे क़दम रखा. आपने वहाँ हज़रते इदरीस अलैहि० को देखा और उनसे मुलाकात की. इदरीस अलैहि० भी आपसे मुहब्बत से मिले और आपका इस्तक़बाल उन्ही लफ़्ज़ों में किया जैसा के पिछले आसमानों पर.
फिर आप पांचवे आसमान की पर गए और वहाँ भी पूछ-ताछ के बाद आपने वहाँ हज़रते हारुन अलैहि० को देखा जो हज़रते मूसा अलैहि० के बड़े भाई भी थे. हज़रते हारुन ने भी उनका इस्तक़बाल प्यारे भाई और प्यारे नबी जैसे अल्फ़ाज़ों से किया.
फिर आप छठे आसमान पे पहुँचे और वहां आपकी मुलाक़ात मूसा अलैहि० से हुई. उन्होंने भी आपका इस्तक़बाल बहुत अच्छे से किया और प्यारे भाई और प्यारे नबी कहा. फिर आप आगे बढ़ने लगे तो अपने देखा के मूसा अलैहि० रोने लगे. आपने रोने की वजह जानना चाही. उन्होंने (हज़रते मूसा) बताया के आप मेरे बाद आने वाले नबी हैं मगर मेरी उम्मत आपकी उम्मत के मुक़ाबले छोटी होगी. बस इसलिए मेरी आँखों में आंसू हैं.
फिर आप आखरी और सातवें आसमान पे गए और यहाँ आपने एक बुज़ुर्ग को देखा और जिब्राइल अलैहिस्सलाम से पूछा के ये कौन हैं?
जिब्राइल ने कहा ये आपके बाप हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम हैं उन्हें सलाम कीजिये.
आपने उन्हें सलाम किया और हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उनके इस्तक़बाल नेक और सालेह बेटे और सालेह नबी कह कर किया.
यहाँ आपने बैतूल मामूर का भी दीदार किया. बैतूल मामूर , बैतुल्लाह (काबा शरीफ) के एक दम सीध में सातवें आसमान पे है और इसके बारे में बयान है के 70,000 (सत्तर हज़ार) फ़रिश्ते एक दफा में इसका तवाफ़ करते हैं और जो फरिश्ता एक दफा बैतूल मामूर का तवाफ़ कर लेता है फिर उसको क़यामत तलक तवाफ़ का दूसरा मौक़ा नहीं मिलेगा.
फिर जिब्राइल अलैहि० आपको ले कर आगे बढे और आप दोनों सिदरतुल मुन्तहा को पहुँचे. यहां अपने एक दरख़्त देखा जिसके पत्ते हाथी के कानों के बराबर थे और जिसपे बड़े बड़े घड़ों जैसे बड़े फल लगे हुए थे. उसकी जड़ों से चार नहरें फूट रही थीं. जिब्राइल ने आपको बताया के इनमे से दो नहरें बातिन हैं जो जन्नत की तरफ जाती हैं और दो नहरें दुनिया की तरफ. दुनिया की तरफ जाने वालीं नहरें नील और फुरात हैं.
जिब्राइल ने बताया के ये सिदरतुल मुन्तहा आखरी छोर है जहाँ से आगे किसी को जाने की इजाज़त नहीं है और आपको अकेला आगे जाने को कहा. आप आगे बढ़े.
आपको इस जगह अल्लाह ने पचास फ़र्ज़ नमाज़ों का तोहफा दिया. आप बहुत खुश हुए.
आप ﷺ इस तोहफे के साथ वापिस आये और जब आप ﷺ का गुज़र छठे आसमान से हुआ तो आपको हज़रते मूसा अलैहि० ने रोका और पूछा के उनके मेराज में क्या मिला. आपने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम को बताया के आपको तोहफे में अल्लाह तबारक-व-तआला ने ५० नमाज़ें दी हैं.
ये सुन कर हज़रते मूसा अलैहि० ने उन्हें मश्विरा देते हुए कहा के आपकी उम्मत के लिए मुहाल होगा इसलिए आप वापिस जाएँ और नमाज़ों की तादाद काम कराएँ.
आप वापिस गए और फिर तादाद काम करा कर वापिस मूसा के पास से गुज़रे. फिर मूसा ने सवाल किया के कितना काम हुआ तो आपने बताया ५ कम हुआ (कुछ रिवायत में 10). मूसा ने उन्हें फिर से वापस जाने और कम कराने का मशवरा दिया.
ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक के आपके तोहफे की तादाद 5 नमाज़ें न हो गयी.
मूसा अलैहि० ने ये सुना तो फिर फ़रमाया के आपकी उम्मत के लिए ये 5 नमाज़ें भी मुहाल होंगी क्योंके मैंने बनी इस्राइल का हाल देखा है. आप फिर से वापस जाएँ और इन्हें कम कराएँ.
आप ﷺ ने फ़रमाया ऐ मूसा, मैं अपने रब से राज़ी हो गया, अब मैंने वापस नहीं जाऊंगा. मुझे अपने रब से हया आती है.
तभी एक आवाज़ आयी,के ऐ मुहम्मद ﷺ, मैंने आपकी उम्मत की हर नेकी को 10 गुना बढ़ दिया है. मतलब जो 5 नमाज़ें हैं बेशक वो तादाद में 5 हैं मगर उसके बदले 50 नमाज़ों का सवाब मिलेगा. अल्लाह अपने क़ौल से फिरा नहीं करता .
फिर आपने मूसा से विदा ली और आगे को चले.
कुछ रिवायत में है के यहाँ भी आपके सामने जिब्राइल ने 3 (किसी रिवायत में 4 ) प्याले पेश किये जिनमे शराब, शहद, दूध (और पानी) था. फिर आपसे कोई एक प्याला उठाने को कहा गया.
आप ﷺ ने दूध का प्याला उठाया. जिब्राइल ने उनसे ﷺ कहा के आप फितरत पे हैं...मतलब ईमान के साथ सही दीन पे हैं.
इस मेराज के सफर के दौरान आपको जन्नत की तरफ भी ले जाया गया. आपने जन्नत में नहर-ए-कौसर को देखा, जिसके दोनों किनारे बड़े बड़े मोतियों जैसे घर थे और जिसकी सतह मुश्क की थी.
आपने उसमे हाथ डाल कर देखा. फिर आपने जन्नत के मैदानों और बागों को देखा.
आपको जहन्नम की भी सैर करवाई गयी . आपने जहन्नम के दारोगा जिसका नाम मालिक है उसको देखा. आपने एक शख्श को देखा जिसके नाख़ून पीतल के थे और वो अपने चेहरे और बदन को नोच रखा था. आपने पूछा के ये कौन है, जिब्राइल ने फ़रमाया ये वो है जो दूसरों की इज़्ज़त से खेलता था और उन्हें शर्मसार करता था.
फिर आपने देखा एक शख्स के बड़े होंटों को आग की कैंची से काटा जा रहा फिर तुरत ही होंठ वापिस आते हैं फिर काटा जाता है. आपने पूछा ये कौन है , जिब्राइल ने फ़रमाया ये वो हैं जिन्होंने अल्लाह की किताब पढ़ी मगर उनके हुक्म का इनकार किया.
(जन्नत और जहन्नम से जुड़े और भी वाकियात पेश आये जिन्हें किसी और पोस्ट में इंशा अल्लाह बयान किये जायेंगे. )
फिर आपको वापस ज़मीन दुनिया की तरफ लाया गया, रास्ते में आपने एक भटकी हुई ऊंटनी भी देखी जो एक काफिले से बिछड़ गयी थी.
आप सुबह को मक्का पहुचे मगर आपको ये ख्याल परेशान कर रहा था के क्या मुशरिकीन आपका ऐतबार करेंगे?
आप इसी सोच में ग़मगीन बैठे हुए थे इतने में आपके पास अबु जहल आया और पूछा, कुछ हुआ है क्या?
आपने उसे कहा के रात के एक पहर में मैं मस्जिदे हराम से बैतूल मक़दिस के सफर को गया. अब जहल ने फिर पूछा के आप रात को गए और सुबह वापस आ भी गए?
आपने फ़रमाया हाँ.
फिर उसने पूछा की क्या आप यही बातें सारे मक्का वालों के सामने कह सकते हैं ?
आपने फिर फ़रमाया हाँ बिलकुल.
अबु जहल ने सभी को वहां जमा किया और आप ﷺ ने उनके सामने भी इस बात का इक़रार किया के आप रात के उस पहर को मस्जिदे अक़्सा गए थे. मगर किसी ने भी यक़ीन न किया बल्कि वो हँसने लगे और अपने सरों पे हाथ रख लिया. उन्हें लगा ये झूट बोल रहे हैं हैं क्योंके ये मुमकिन नहीं है और मस्जिदे अक़्स का सफर वहां से 40 दिन का है, फिर ये कैसे मुमकिन के एक रात में सफर कर के ये वापस भी आ गए. उन्होंने आप ﷺ की बात का इनकार किया.
कुछ लोग जो मस्जिदे अक़्सा जा चुके थे उन्होंने आपसे मस्जिदे अक़्सा के बारे में सवाल किये और उसके बनावट वगैरह के बारे में पूछने लगे. आप ﷺ ये मुश्किल जान पड़ी क्योंके आप ﷺ बेशक वह गए थे मगर एक एक चीज़ याद कैसे रख सकते थे.
अल्लाह तबारक-व-तआला ने मस्जिदे अक़्सा को उनके सामने कर दिया और वो मक्का वालों के सवालों के जवाब देने लगे.
बावजूद इसके उन्होंने आप ﷺ का इनकार किया.
अबु जहल ने आप ﷺ के दोस्तों को आपके खिलाफ करने की साजिश रची और आपके दोस्त हज़रत अबु बकर रज़ि० के पास आया और बोला ऐ अबूबकर (रज़ि०), क्या ये बात काल में आती है के कोई शख्स एक रात में बैतूल मक़दिस जाये और फिर सुबह तक वापिस भी आ जाये?
अबु बकर ने फ़रमाया हरगिज़ नहीं, ये नहीं हो सकता. ऐसा किसने कहा?
अबु जहल बोला की अप्पके दोस्त मुहम्मद ﷺ ऐसा कह रहे हैं.
फिर अबु बकर ने उन्हें फ़ौरन से जवाब दिया की अगर ये क़ौल मुहम्मद ﷺ का है तो फिर ये झूट हरगिज़ हरगिज़ नहीं हो सकता और मैं इस बात पे ईमान रखता हूँ चाहे ये बात अक़्ल में आये या न आये.
अल्लाह के नबी रसूलल्लाह ﷺ को ये बात बहुत ही पसंद आयी और उन्होंने अबु बकर को लक़ब दिया "सिद्दीक" , मतलब सच को क़ुबूल करने वाला, सच की हिमायत करने वाला.
इस तरह हज़रत अबु बकर सिद्दीक रज़ि० कहलाने लगे.
ये मेराज का मुख़्तसर वाकिया है जिसके लिए तफ़्सीर इब्ने कसीर, तफ़्सीर अल-तबरी, तफ़्सीर-कुरतबी, सही मुस्लिम , सही बुखारी , और सुनन हदीसों को शामिल किया गया है और ये मुख़्तसर बयान है.
हमने अपनी तरफ से कोशिश की है के इस वाक़या को लिखने में कही कोई ग़लती न हो, अगर कही ऐसी भूल हुई हो के ग़लत बयानी हो गयी है तो अल्लाह से माफ़ी का का तलबगार हूँ.
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अल्लाह हम सबको किताबुल्लाह और सुन्नते रसूल का पाबंद बनाये. (आमीन)
Bahut sahi jankari.shukria.warna sab fake news dalte hain.
ReplyDeleteBhai behut achchi post he
ReplyDeleteAmeen allha hum sbke gunaho se bachana
ReplyDeleteAamin Allah human aamin
ReplyDeleteHumein kya is waqia ki
ReplyDeletePuri Kitab pdf form Mai mil Sakti hai kya
Bahot peyara wakiya hai
ReplyDeleteSubhanallha
ReplyDeleteSubhanallah 😌 itna achhe se kahi par bhi nahi Diya hai 😌sab bohot achhe se samaj aaya sukriya ☺️
ReplyDeleteMASHAALLAH BAHUT ACHHA WAQIYA HAI 👌👌
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