आइये मुहम्मदुर-रसूलल्लाह (स० अलैह०) की उस हदीस पे गौर करें जो उन्होंने जन्नती शख्स और फ़िरक़ों के मुतल्लिक़ कही थी
हज़रात अब्दुल्लाह बिन उमर रजि० से रिवायत है के मुहम्मद स० अलैह० ने फ़रमाया बानी इस्राइल 72 फ़िरक़ों में बंट गए और मेरी उम्मत 73 फ़िरक़ों में बंट जाएगी. इनमे से एक जन्नती होगा बाकी सब जहन्नमी होंगे"
सहबा-ए-कराम रजि० ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह स० अलैह० वो फ़िरक़ा कौन सा है जो जन्नत में जायेगा?
तो आपने फ़रमाया जिसपे मैं और मेरे सहाबी हैं."
(तिर्मिज़ी किताब 38 हदीस 2641)
इस हदीस से हमे ये जानकारी हुआ के जिस रास्ते पे अल्लाह के रसूल थे और जिस रास्ते पे उनके सहाबा थे बस वही एक रास्ता जन्नत की तरफ हमे ले जायेगा, बाकी सारे रास्ते जहन्नम की तरफ,जहन्नम की आग में ले जाने वाले हैं. अब गौर करनी है के वो जन्नती रास्ता कैसे हासिल होगा और उसकी पहचान क्या है?
उसकी सही पहचान यही है के वो रास्ते सिर्फ और सिर्फ क़ुरआन और हदीस का रास्ता है जिसपे अमल करके हम जन्नती हो सकते हैं न के अपने खुदशाखता इस्लाम पे अमल करके और झूट मुल्लाओं की पैरवी कर के.
इसलिए हुए चाहिए के अगर हमे जन्नती होना है , हमे सही रास्ते पे चलना है तो सिर्फ क़ुरआन और हदीस को को देखें किसी और की मनघड़त और झूटी बात न सुने.
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