सेहरी के मसाइल

आज हम सेहरी के मुताल्लिक़ जानेंगे के

सेहरी कब करनी चाहिए

सेहरी में क्या खाना चाहिए 

और सेहरी न कर पाएं तो रोज़ा होगा या नहीं.

सेहरी लफ्ज़ सेहर से बन है जिसका मतलब तीसरे पहर से है यानि फज़र के ठीक पहले का वक्त. इसलिए हमे इस बात का ख्याल रखनी चाहिए के सहरी का वक्त भी फज़र के ठीक पहले तक है और अफ़ज़ल वक्त भी फज़र के कुछ देर पहले का है के हम सहरी करें और कोशिश करें के फज़र के काफी पहले पहले सेहरी ख़त्म कर लें.
सेहरी में हमे कोशिश करनी चाहिए के हम ज़्यादा हैवी और तीखी चीज़ें न लें क्यूंकि एक तो खाना पूरी तरह से हज़म नहीं होता क्यूंकि हमारे मेंदे को ऐसे वक्त में ऐसे खाने की आदत नहीं होती जिसकी वजह से खट्टी डकारें आती हैं जो एक रोज़ेदार के लिए कतई अच्छा नहीं है. इसलिए हमे कोशिश करनी चाहिए के फ्रूट सलाद , सब केले और दीगर फल ले सकते हैं . कोशिश करें की सेहरी के बाद चाय या कॉफ़ी न पिएं क्यूंकि ये प्यास लगने में अहम किरदार अदा करते हैं.
एक खास बात जो यह डिस्कस करेंगे वो ये की क्या सेहरी करना बहुत ज़रूरी है और अगर सेहरी न कर पाएं और वक्त नोकल गया तो क्या हमारा रोज़ा होगा?
सबसे पहली बात के सेहरी करना सुन्नत है सिर्फ रोज़ा रखना फ़र्ज़ है. इसलिए हमे पूरी कोशिश करनी चाहिए के हम इस सुन्नत को छोड़ें नहीं क्यूंकि सेहरी की अपनी फ़ज़ीलत है और सेहरी में बरकत है. मगर अगर किसी वजह से सेहरी न कर पाएं या भूल गए और नींद से नहीं उठ पाये तो फिर कोई बात नहीं आपका रोज़ा हो जायेगा बगैर सेहरी किये भी....क्यूंकि रोज़ा के लिए सेहरी शर्त नहीं बल्कि ये एक सुन्नत है और अगर गलती से छूट गयी तो भी हमारा रोज़ा हो जायेगा. तो याद रखें के सेहरी हम करें या न करें हमारा रोज़ा हर हाल में पूरा होना है मगर फिर भी हमे कोशिश करनी चाहिए के हम मुहम्मदुर रसूलुल्लाह की सुन्नत भी अदा कर सकें.
अल्लाह हम सभी को क़ुरआन-ओ-सुन्नत पे चलने की तौफ़ीक़ आता फरमाएं (आमीन)

ये भी पढ़ें:

रमजान की फजिलतें 

किन चीज़ों से रोज़ा टूट जाता है?

रोज़े की नियत

रोज़े की फजिलतें 

रमजान का महीना

No comments:

Post a Comment