नोट: अगर कोई शख्स अनजाने में भूल से कुछ खा ले तो उसे चाहिए के रोज़ा पूरा कर ले क्यूंकि उसे अल्लाह ने खिलाया पिलाया है.
2. जान बुझ कर कै करने से टूट जाता है अलबत्ता तबियत की खराबी की वजह से अगर कै हो जाये तो उस से रोज़ा नहीं टूटता है
रसूलल्लाह (स० अलैह०) ने फ़रमाया "जिसको खुद कै आ गयी (उसका रोज़ा बरक़रार है) उस पर क़ज़ा नहीं, और अगर उसने जान बुझ कै की तो उसे चाहिए के वह क़ज़ा दे".
3. रोज़े की हालत में बीवी से हमबिस्तरी करने से भी रोज़ा टूट जायेगा. इस हालत में रोज़े की क़ज़ा के साथ उसका कफ़्फ़ारा भी अदा करना होगा.
4. बदन के अंदर इंजेक्शन या किसी भी ज़रिये से कोई ऐसी चीज़ पहुंचना जिस से के बदन को ताकत या ग़िज़ा मिले, उस से भी रोज़ा टूट जायेगा.
नोट: अगर इंजेक्शन का मक़सद सिर्फ इलाज़ है और दवा किसी तरह की कोई ताक़त या ग़िज़ा मुराद न हो तो फिर रोज़ा नहीं टूटता.
5. हैज़ और नफास से रोज़ा टूट जायेगा चाहे किसी भी वक्त इसका आगाज़ हो.
6. कोई ज़ख्म लगने से या नकसीर फूट जाने से खून निकलने लगे तो भी रोज़ा नहीं टूटता है.
7. इसके अलावा रोज़े की हालत में सुरमा लगाना, तेल लगाना, नाख़ून काटना, खुशबु लगाना, खुशबु सूंघना, कान के बाहर के हिस्से में काडी तिनका डाल कर कान से मैल निकालना या कान को खुजलाना, बाम वगैरा लगाना इन सब बातों से रोज़ा नही टूटता।
8.एहतलाम हो जाने से रोज़ा नहीं टूटता हाँ अगर जान बुझ कर मनी खारिज की जाये तो रोज़ा टूट जायेगा.
रोज़े का कफ़्फ़ारा
रोज़े का कफ़्फ़ारा ये है के एक ग़ुलाम आज़ाद किया जाये, या फिर ६० दिन का रोज़ा रख जाये या फिर ६० मिस्कीनों को खाना खिलाया जाये या फिर जो कुछ अल्लाह ने आता किया हो अपनी इस्तेता'अत के मुताबिक हो वो खाने की शक्ल में सदक़ा करे. ये हदीस से साबित रोज़े का कफ़्फ़ारा है.
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